Monday, March 27, 2017

Behen..Sister...

बहन का मुझ पर ये तो एहसान रहेगा,
हँसाती है जब मैं हँसना नहीं चाहता...

Nafrat..

सोचता हूँ आपकी रूह में उतर के देखूं, 
कौन सा पुर्ज़ा है जो आपको मुझसे नफरत नहीं...

Mehfil....

क्या मर्ज़ है जो नींद नहीं आती,
यूँ भी चले कभी यूँ महफिलों के दौर..

Mohabbat!

कामयाब होके ही नाकामयाब होती है,
हम तो यूँही अपनी मोहब्बत पे फ़क्र करते रहे।

Thursday, March 16, 2017

Saheli.... (From March 2015)

फिर आज वह ज़िंदगी जी लूँ,
खुशियों को अपने माज़ी से छीन लूँ,
कूछ साल फ़क़ीर की झोली में सदक़ा करूँ,
एक बार अपनी बेटी संग सहेली बन खेलूँ।


- 16th March 2015