Thursday, March 16, 2017

Saheli.... (From March 2015)

फिर आज वह ज़िंदगी जी लूँ,
खुशियों को अपने माज़ी से छीन लूँ,
कूछ साल फ़क़ीर की झोली में सदक़ा करूँ,
एक बार अपनी बेटी संग सहेली बन खेलूँ।


- 16th March 2015

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