Kashyap Shah....an individual out of the billions on this planet..his life, his thoughts, his inspirations, his happiness, his pains...."then" and "now"
आज मैं निकल पड़ा हूँ,
कुछ सपने संजोने,
कुछ ख़्वाब बेचने,
कुछ यादें भिगोने,
कुछ लम्हें मिटाने,
क़तरे समेटने,
कुछ वादे बेचने...
...आज बरसात हुई है,
आज फ़िर निकल पड़ा हूँ।