1st hindi poem written by Kashti on 15th April 2017...class 2B.
Kashyap Shah....an individual out of the billions on this planet..his life, his thoughts, his inspirations, his happiness, his pains...."then" and "now"
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Sunday, April 16, 2017
Monday, July 27, 2015
Ye Dilli.....
मुद्दतों से देश की राजधानी दिल्ली,
शाहों के बद्इरादों में कुचली ये दिल्ली,
रिश्तों के पीठ में खंजरों की भीड़ दिल्ली,
मुर्दों पे खड़े हसीन मीनारों की दिल्ली,
सदियों के इतिहास को रौंद नई तारीख़ दिल्ली,
हमाम को बनाये हरम ये नंगी दिल्ली,
बेग़मो से निज़ाद पाते ही दिल्ली,
हुई फ़िर ग़ुलाम-ए-केजरी दिल्ली,
तेरी क़िस्मत पे रोऊँ या हँसूँ ए दिल्ली,
ये शान ये तवारीख़ तुझे मुबारक़ दिल्ली।
July 24 2015
शाहों के बद्इरादों में कुचली ये दिल्ली,
रिश्तों के पीठ में खंजरों की भीड़ दिल्ली,
मुर्दों पे खड़े हसीन मीनारों की दिल्ली,
सदियों के इतिहास को रौंद नई तारीख़ दिल्ली,
हमाम को बनाये हरम ये नंगी दिल्ली,
बेग़मो से निज़ाद पाते ही दिल्ली,
हुई फ़िर ग़ुलाम-ए-केजरी दिल्ली,
तेरी क़िस्मत पे रोऊँ या हँसूँ ए दिल्ली,
ये शान ये तवारीख़ तुझे मुबारक़ दिल्ली।
July 24 2015
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