Sunday, April 09, 2017

Akhbar

आज फ़िर कोई ईमान बिका है,
आज फ़िर एक रूह मिटी है,
आज फ़िर अख़बार छपा है।

आज फ़िर एक ज़मीर लुटा है,
आज फ़िर हमाम सजा है,
आज फ़िर अख़बार छपा है।

आज फ़िर इल्ज़ाम लगा है,
आज फ़िर झूठ ऊगा है,
आज फ़िर अख़बार छपा है।

#KashWrites

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