Monday, July 03, 2017

बरसात rain


आज मैं निकल पड़ा हूँ,
कुछ सपने संजोने,
कुछ ख़्वाब बेचने,
कुछ यादें भिगोने,
कुछ लम्हें मिटाने,
क़तरे समेटने,
कुछ वादे बेचने...
...आज बरसात हुई है,
आज फ़िर निकल पड़ा हूँ।

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